बे , दीन कोन साहिबे ईमान कोन है
आंखे। खुदा ने दी हैं तो पहचान कोन है
तुम ने अली के बाप को काफिर तो कह दिया
अब ये बताओ मुझको मुसलमान कोन है
ज़हरा के घर को आग लगाने को आए थे
तुम से बड़ा ज़माने में शैतान कोन है
बे , दीन कोन साहिबे ईमान कोन है
आंखे। खुदा ने दी हैं तो पहचान कोन है
तुम ने अली के बाप को काफिर तो कह दिया
अब ये बताओ मुझको मुसलमान कोन है
ज़हरा के घर को आग लगाने को आए थे
तुम से बड़ा ज़माने में शैतान कोन है
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