म्यूज़िक का साथ लेके खता कर रहे है हम
मौला से अपने धोका बड़ा कर रहे है हम
फ़ुरसत मिले तो पूछिए अपने ज़मीर से
ज़िक्रे अली की आड़ में क्या कर रहे है हम
दौलत की भूख में कभी शोहरत की भूख में
खुद अपने आप से ही दगा कर रहे है हम
जब है हुसैन जैसे नमाज़ी के मधह खा,न
फ़िर किस लिए नमाज़ कजा कर रहे है हम
इज्जत ज़रा सी पाई तो मगरूरी आ गई
बतलाओ कब अली का कहा कर रहे है हम
रिश्ता है सिर्फ मधह का आले रसूल से
ये कोन सा तवल्ला अदा कर रहे है हम
कॉमेंट लाइक शेर के चक्कर में आज कल
आमाल से खुलूस जुदा कर रहे है हम
म्यूज़िक के इस्तेमाल से पेहले ये सोचिए
कीन हस्तियों की मदहो सना कर रहे है हम
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