#अय्यामे_अज़ा_की_आख़िरी_रातें
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" ख़त्म है दौरे अज़ा लौट के आना मौला।
फिर मेरे घर की ज़िया और बढ़ाना मौला।।
तुम पे दिल खोल के हम रो नहीं पाए आक़ा ।
रह गया क़र्ज़ ये अश्कों का बहाना मौला ।।
ये अज़ादार सलामत रहें सदक़े में तेरे ।
हो इसी शान से फिर ग़म का मनाना मौला ।।
कैसे भूलेगा क़यामत का वो मंज़र हमसे।
एक जवां लाल की मय्यत का उठाना मौला ।।
हम सुनाते हैं तेरे ग़म की कहानी किरदार।
मुझको दुनिया के हर एक ग़म से बचाना मौला ।।
✍🏻शायरे अहलेबैत ज़फ़र नक़वी किरदार"
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