Ghadir, ghadeer, nazm,

 

Sheronoha

फिक्रो नज़र का बाब खुला है ग़दीर मे


आगाज़ एक सफर का हुआ है ग़दीर में



दस्ते नबी पे दस्ते खुदा है ग़दीर में


बुत खुदसरी का टूट गया है ग़दीर में



मौलाऐ कुल जो मौला बना है ग़दीर में


इब्लीसियत के ज़ख्म लगा है ग़दीर में



देखो ज़बाने खत्मे रोसुल है गौहर फिशा


कुरआन मुँह से बोल रहा है ग़दीर में



खैरूल बशर ने अपनी नियाबत के वास्ते


मामूर मुर्तज़ा को किया है ग़दीर में



महबूबे हक़ ने आयाऐ बल्लिग़ की तेग़ से


बातिल की रग को काट दिया है ग़दीर में

 


तकमीले दीं के खाब की ताबीर है ग़दीर


ये राज़ आशकार हुआ है ग़दीर में


 

कोई अगर नही है हकाएक से आशना


बख्खिन की फिर से फैली सदा है ग़दीर में



*वासिफ* हमे खुदा ने इमामत के नाम से


एक मौतबर निज़ाम दिया है ग़दीर में 


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